दीवानगी मतलब हिंदी में अर्थ Diwangi meaning in hindi.

Q. दीवानगी मतलब हिंदी में अर्थ Diwangi meaning in hindi. 


Ans. 1. पागलपन; दीवानापन 2. किसी कार्य की तन्मयता; तल्लीनता 3. मोहब्बत का जुनून। 

आशियाना मतलब हिंदी में अर्थ Ashiyana meaning in hindi

Q. आशियाना मतलब हिंदी में अर्थ Ashiyana meaning in hindi ?

Ans. 1. पक्षी का घोंसला 2.प्यार और शौक से बनाया गया रहने का ठिकाना; बसेरा; घर।

. Hasrat meaning in hindi हसरत मतलब हिंदी में अर्थ

Q. Hasrat meaning in hindi हसरत मतलब हिंदी में अर्थ 


Ans.  हार्दिक इच्छा; दिली ख़्वाहिश; चाह; अरमान; लालसा।

Hamsafar meaning in hindi हमसफ़र मतलब हिंदी में अर्थ

Q. Hamsafar meaning in hindi हमसफ़र मतलब हिंदी में अर्थ 

Ans. 1. एक साथ यात्रा करने वाला 2. एक साथ जीवन गुज़ारने वाला।

मुसाफ़िर मतलब हिंदी में अर्थ Musafir meaning in hindi

Q:- मुसाफ़िर मतलब Musafir meaning in hindi 


1. यात्री; सफ़र करने वाला व्यक्ति; पथिक; बटोही 2. परदेशी।

मुशायरा mushayra meaning in hindi

मुशायरा mushayra meaning in hindi


1. वह सम्मेलन जिसमें शायर अपनी शेर या ग़ज़ल आदि कहते हैं 2. कवि सम्मेलन।

रूबरू हिंदी में अर्थ Rubru meaning in hindi

Q. रूबरू हिंदी में अर्थ Rubru meaning in hindi


Ans.  आमने-सामने; सम्मुख; समक्ष।

Jal Ka Mahatva – जल का महत्व निबन्ध Essay On Importance Of Water in Hindi

 Jal Ka Mahatva – जल का महत्व निबन्ध Essay On Importance Of Water in Hindi

जल (पानी) प्रकृति द्वारा दी गयी अनमोल देंन है। और हमारे लिए बहुत ही ज़रूरी है। भोजन के बिना तो
हम कई दिनों तक जीवन व्यतीत कर सकते हैं परंतु जल के बिना जिन्दा नहीं रह सकते हैं। मनुष्य के
साथ-साथ जल पशु, पक्षी, पेड़, पौधे, तथा अन्य जानवरों के लिए भी अति आवश्यक हैं। उनका जीवन
भी जल पर निर्भर करता है। यहाँ तक कि मानव के शरीर का 2 तिहाई हिस्सा पानी है। मानव मंगल से
लेकर चाँद तक की सतह पर पानी की खोज में लगा हुआ है। ताकि वहाँ पर भी जीवन संभव हो सके।
धरती पर जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्त्रोत जल ही है। क्योंकि जल रोजमर्रा के कार्यों के लिए
भी बहुत ज्यादा आवश्यक है। उदहारण के लिए पानी पीना, नहाना, भोजन बनाना, कपड़े धोना, फसल
को पैदा करने आदि के लिए जल बहुत महत्वपूर्ण है।

iiपृथ्वी पर पानी का संतुलन वर्षा और वाष्पीकरण द्वारा होता है।

पृथ्वी पर पानी का संतुलन वर्षा और वाष्पीकरण द्वारा होता है। पृथ्वी का करीबन 3/4 हिस्सा पानी से
घिरा हुआ है। परंतु बहुत ही कम प्रतिशत जल मनुष्य के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है। राष्ट्रीय अपराध
रिकार्ड्स के आकलन के बाद जो रिजल्ट आया उसमे लगभग 16,632 किसान (2369 महिलाएं)
आत्महत्या से अपना जीवन समाप्त कर चुके हैं। हालाँकि 14.4 % किस्से सुखा पड़ने की वजह से हुए है
अर्थात इन सब का कारण भी पानी की कमी है। पहले लोग नदी का पानी ऐसे ही पी लिया करते थे परंतु
आज के समय में नदियों या झीलों का पानी पीने लायक शुद्ध नहीं है। शहरों द्वारा सारा गन्दा पानी नदियों
में छोड़ दिया जाता है। जल के पप्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। जिसके कारण जल में रहने वाले
जीवों की संख्या में भी कमी आ रही है। दैनिक कार्यों से लेकर कृषि उद्योग में जल बहुत आयश्यक है।
हमें पानी को बचाना चाहिए तथा उसका संरक्षण करना चाहिए। गांवों के लोगों को बरसात के पानी
को इकठ्ठा करना चाहिए। उनके सही रख रखाव के लिए तालाब बनाकर बरसात के पानी को बचा सकते हैं।

iiयुवा पीढ़ी को जागरूकता की आवश्यकता है।
युवा पीढ़ी को जागरूकता की आवश्यकता है। और उन्हें इस मुद्दे को लेकर भी एकाग्र होना चाहिए। आने वाले
समय में जनसँख्या की बढ़ोतरी और उसी के साथ कृषि में बढ़ोतरी होगी जिसके लिए जल का होना अति
आवश्यक है। पानी का इस्तेमाल सिर्फ ज़रूरत के लिए कम से कम मात्रा में करना चाहिए हमे जल के व्यर्थ
नहीं करना चाहिए। हमे धरती पर स्वच्छ पानी के महत्व को समझना चाहिए। जहाँ जल प्रकृति की देन है
वहां आज के समय में लोगों को पानी खरीद कर इस्तेमाल करना पड़ रहा है। गरीबी और जनसँख्या की
समस्या के साथ जल की समस्या भी बहुत जटिल है। हम जीवन में जल का इस्तेमाल तो बड़ा कर रहे हैं।
परंतु इसके बचाव व रख रखाव के लिए जो प्रयास करने चाहिए उस पर किसी का ध्यान नहीं है। यह आने
वाले समय के लिए बिलकुल उचित नहीं है। पानी हमारे लिए अमृत के सामान है इसलिए जीवन जीने के
लिए व भविष्य बचाने के लिए पानी का बचाव व संरक्षण बहुत ज़रूरी है। – आँचल वर्मा
 

Hindi Synonyms (हिंदी पर्यायवाची शब्द) - Hindi Grammar

Hindi Synonyms (हिंदी पर्यायवाची शब्द) - Hindi Grammar


अग्नि – आग, अनल, पावक.
अपमान – अनादर, अवज्ञा, अवहेलना, तिरस्कार.
अलंकार – आभूषण, गहना, जेवर.
अहंकार – दंभ, अभिमान, दर्प, मद, घमंड.
अमृत – सुधा, अमिय, पीयूष, सोम.
असुर – दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर, तमचर.
अतिथि – मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक.
अनुपम – अपूर्व, अतुल्य, अनोखा, अद्भुत, अनन्य.
अर्थ – धन, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा.
अश्व – हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक, बाजि, सैन्धव.
अंधकार – तम, तिमिर, अँधेरा, तमस, अंधियारा.

आम – रसाल, आम्र, सौरभ, अमृतफल.
आग – अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि.
आँख – लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि.
आकाश – नभ, गगन, अम्बर, व्योम, आसमान, अर्श.
आनंद – हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास.
आश्रम – कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाड़ा.
आंसू – नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु.
आत्मा – जीव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण.

इच्छा – अभिलाषा, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट.
इन्द्र – सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज, महेन्द्र, शचीपति.
इन्द्राणि – इन्द्रवधू, मधवानी, शची, शतावरी, पोलोमी.

ईश्वर – परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता.

उपवन – बाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन.
उक्ति – कथन, वचन, सूक्ति.
उग्र – प्रचण्ड, उत्कट, तेज, तीव्र, विकट.
उचित – ठीक, मुनासिब, वाज़िब, समुचित, युक्तिसंगत, न्यायसंगत, तर्कसंगत.
उच्छृंखल – उद्दंड, अक्खड़, आवारा, निरकुंश, मनमर्जी, स्वेच्छाचारी.
उज्जड़ – अशिष्ट, असभ्य, गँवार, जंगली, देहाती, उद्दंड, निरकुंश.
उजला – उज्ज्वल, श्वेत, सफ़ेद, धवल.
उजाड़ – जंगल, बियावान, वन.
उजाला – प्रकाश, रोशनी, चाँदनी.
उत्कर्ष – समृद्धि, उन्नति, प्रगति, उठान.
उत्कृष्ट – उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा.
उत्कोच – घूस, रिश्वत.
उत्पत्ति – उद्गम, पैदाइश, जन्म, उद्भव, सृष्टि, आविर्भाव, उदय.
उद्धार – मुक्ति, छुटकारा, निस्तार.
उपाय – युक्ति, साधन, तरकीब, तदबीर, यत्न, प्रयत्न.

ऊधम – उपद्रव, उत्पात, धूम, हुल्लड़, हुड़दंग, धमाचौकड़ी.

ऐक्य – एकत्व, एका, एकता, मेल.
ऐश्वर्य – समृद्धि, विभूति.

ओज – तेज, शक्ति, बल, वीर्य.
ओंठ- ओष्ठ, अधर, होंठ.

औचक – अचानक, यकायक, सहसा.
औरत – स्त्री, जोरू, घरनी, घरवाली.

ऋषि – मुनि, साधु, यति, संन्यासी, तत्वज्ञ, तपस्वी.

कच – बाल, केश, कुन्तल, चिकुर, अलक, रोम, शिरोरूह.
कमल- नलिन, अरविंद, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात, शतदल, पुण्डरीक, इन्दीवर.
कबूतर – कपोत, रक्तलोचन, पारावत.
कामदेव – मदन, मनोज, अनंग, काम, रतिपति, पुष्पधन्वा, मन्मथ.
कण्ठ – ग्रीवा, गर्दन, गला.
कृपा – प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह.
किताब – पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक.
किनारा – तीर, कूल, कगार, तट.
कपड़ा – चीर, वसन, पट, वस्त्र, परिधान.
किरण – ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति.
किसान – कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता.
कृष्ण – राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी.
कान – कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल, श्रवण श्रोत, श्रुतिपुट.
कोयल – कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया.
क्रोध – रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात.
कीर्ति – यश, प्रसिद्धि.

खग – पक्षी, विहग, नभचर, अण्डज, पखेरू.
खंभा – स्तूप, स्तम्भ, खंभ.
खल – दुर्जन, दुष्ट, घूर्त, कुटिल.
खून – रक्त, लहू, शोणित, रुधिर.

गज – हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल .
गाय – गौ, धेनु, भद्रा.
गंगा – देवनदी, मंदाकिनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा.
गणेश – विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, एकदन्त.
गृह – घर, सदन, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास.
गर्मी – ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी.
गुरु – शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय.

घट – घड़ा, कलश, कुम्भ, निप.
घर – आलय, आवास, गृह, निकेतन, निवास, भवन, वास, वास-स्थान, शाला, सदन.
घृत – घी, अमृत, नवनीत.
घास – तृण, दूर्वा, दूब, कुश.

चरण – पद, पग, पाँव, पैर, पाद.
चतुर – विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य.
चंद्रमा – चाँद, चन्द्र, शशि, रजनीश, निशानाथ, सोम, कलानिधि.
चाँदनी – चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्सना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई.
चाँदी – रजत, सौध, रूपा, रूपक, रौप्य, चन्द्रहास.
चोटी – मूर्धा, सानु, शृंग.

छतरी – छत्र, छाता.
छली – छलिया, कपटी, धोखेबाज.
छवि – शोभा, सौंदर्य, कान्ति, प्रभा.
छानबीन – जाँच, पूछताछ, खोज, अन्वेषण, शोध.
छैला – सजीला, बाँका, शौकीन.
छोर – नोक, कोर, किनारा, सिरा.

जल – सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, पानी, पय, पेय.
जगत – संसार, विश्व, जग, भव, दुनिया, लोक.
जीभ – रसज्ञा, जिह्वा, वाणी, वाचा, जबान.
जंगल – कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप.
जेवर – गहना, अलंकार, भूषण.
ज्योति – आभा, छवि, द्युति, दीप्ति, प्रभा.

झूठ – असत्य, मिथ्या.

तरुवर – वृक्ष, पेड़, द्रुम, तरु, पादप.
तलवार – असि, कृपाण, करवाल, चन्द्रहास.
तालाब – सरोवर, जलाशय, पुष्कर, पोखरा.
तीर – शर, बाण, अनी, सायक.

दास – सेवक, नौकर, चाकर, अनुचर, भृत्य.
दधि – दही, गोरस, मट्ठा.
दरिद्र – निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन.
दिन – दिवस, याम, दिवा, वार.
दीन – ग़रीब, दरिद्र, रंक, अकिंचन, निर्धन, कंगाल.
दीपक – दीप, दीया, प्रदीप.
दुःख – पीड़ा,कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर.
दूध – दुग्ध, क्षीर, पय, गौरस, स्तन्य.
दुष्ट – पापी, नीच, दुर्जन, अधम, खल, पामर.
दाँत – दन्त.
दर्पण – शीशा, आरसी, आईना.
दुर्गा – चंडिका, भवानी, कल्याणी, महागौरी, कालिका, शिवा, चण्डी, चामुण्डा.
देवता – सुर, देव.
देह – काया, तन, शरीर.

धन – दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त.
धरती – धरा, धरती, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नगर्भा.
धनुष – चाप, शरासन, कमान, कोदंड, धनु.

नदी – सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी.
नया – नूतन, नव, नवीन, नव्य.
नाव – नौका, तरणी, तरी.

पवन – वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल.
पहाड़ – पर्वत, गिरि, अचल, शैल, भूधर, महीधर.
पक्षी – खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिड़िया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर.
पति – स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश.
पत्नी – भार्या, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, दारा, जोरू, वामांगिनी.
पुत्र – बेटा, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन.
पुत्री – बेटी, आत्मजा, तनूजा, सुता, तनया.
पुष्प – फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून.

फूल – पुष्प, सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून.

बादल – मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, पयोधर.
बालू – रेत, बालुका, सैकत.
बन्दर – वानर, कपि, हरि.
बिजली – घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, दामिनी, तड़ित, विद्युत.
बगीचा – बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया.
बाण – सर, तीर, सायक, विशिख.
बाल – कच, केश, चिकुर, चूल.
ब्रह्मा – विधाता, स्वयंभू, प्रजापति, पितामह, चतुरानन, विरंचि, अज.
बलदेव – बलराम, बलभद्र, हलायुध, रोहिणेय.
बहुत – अनेक, अतीव, अति, बहुल, प्रचुर, अपरिमित, प्रभूत, अपार, अमित, अत्यन्त, असंख्य.
ब्राह्मण – द्विज, भूदेव, विप्र, महीदेव, भूमिसुर, भूमिदेव.

भय – भीति, डर, विभीषिका.
भाई – तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ.
भूषण – जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार.
भौंरा – मधुप, मधुकर, द्विरेप, अलि, षट्पद, भृंग, भ्रमर.

मनुष्य – आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज.
मदिरा – शराब, हाला, आसव, मद.
मोर – कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय.
मधु – शहद, रसा, शहद.
मृग – हिरण, सारंग, कृष्णसार.
मछली – मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर.
माता – जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा.
मित्र – सखा, सहचर, साथी, दोस्त.

यम – सूर्यपुत्र, जीवितेश, कृतांत, अन्तक, दण्डधर, कीनाश, यमराज.
यमुना – कालिन्दी, सूर्यसुता, रवितनया, तरणि-तनूजा, तरणिजा, अर्कजा, भानुजा.
युवति – युवती, सुन्दरी, श्यामा, किशोरी, तरुणी, नवयौवना.

रमा – इन्दिरा, हरिप्रिया, श्री, लक्ष्मी, कमला, पद्मा, पद्मासना, समुद्रजा, श्रीभार्गवी, क्षीरोदतनया.
रात – रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, निशि, यामा, विभावरी.
राजा – नृप, नृपति, भूपति, नरपति, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति.
रात्रि – निशा, रैन, रात, यामिनी, शर्वरी, तमस्विनी, विभावरी.
रामचन्द्र – सीतापति, राघव, रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर,  जानकीवल्लभ, कौशल्यानन्दन.
रावण – दशानन, लंकेश, लंकापति, दशशीश, दशकंध.
राधिका – राधा, ब्रजरानी, हरिप्रिया, वृषभानुजा.

लड़का – बालक, शिशु, सुत, किशोर, कुमार.
लड़की – बालिका, कुमारी, सुता, किशोरी, बाला, कन्या.
लक्ष्मी – कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा, पद्मजा, सिन्धुसुता, कमलासना.
लक्ष्मण – लखन, शेषावतार, सौमित्र, रामानुज, शेष.
लौह – अयस, लोहा, सार.
लता – बल्लरी, बल्ली, बेली.

वायु – हवा, पवन, समीर, अनिल, वात, मारुत.
वसन – अम्बर, वस्त्र, परिधान, पट, चीर.
विधवा – अनाथा, पतिहीना.
विष – ज़हर, हलाहल, गरल, कालकूट.
वृक्ष – पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम.
विष्णु – नारायण, चक्रपाणी.
विश्व – जगत, जग, भव, संसार, लोक, दुनिया.
विद्युत – चपला, चंचला, दामिनी, सौदामिनी, तड़ित, बीजुरी, घनवल्ली, क्षणप्रभा, करका.
बारिश – वर्षण, वृष्टि, वर्षा, पावस, बरसात.
वीर्य – जीवन, सार, तेज, शुक्र, बीज.
वज्र – कुलिस, पवि, अशनि, दभोलि.
विशाल – विराट, दीर्घ, वृहत, बड़ा, महान.
वृक्ष – गाछ, तरु, पेड़, द्रुम, पादप, विटप, शाखी.

शिव – भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर.
शरीर – देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात.
शत्रु – रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी.
शिक्षक – गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय.
शेर – केहरि, केशरी, वनराज, सिंह.
शेषनाग – अहि, नाग, भुजंग, व्याल, उरग, पन्नग, फणीश, सारंग.
शुभ्र – गौर, श्वेत, अमल, वलक्ष, शुक्ल, अवदात.
शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द.

षंड – हीजड़ा, नपुंसक, नामर्द.
षडानन – षटमुख, कार्तिकेय, षाण्मातुर.

सीता – वैदेही, जानकी, भूमिजा, जनकतनया, जनकनन्दिनी, रामप्रिया.
साँप – अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन.
सूर्य – रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिनकर, दिवाकर, भानु, आदित्य.
संसार – जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया.
सोना – स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन.
सिंह – केसरी, शेर, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज.
समुद्र – सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि.
सम – सर्व, समस्त, सम्पूर्ण, पूर्ण, समग्र, अखिल, निखिल.
समीप – सन्निकट, आसन्न, निकट, पास.
समूह – दल, झुंड, समुदाय, टोली, जत्था, मण्डली, वृंद, गण, पुंज, संघ, समुच्चय.
सभा – अधिवेशन, संगीति, परिषद, बैठक, महासभा.
सुन्दर – कलित, ललाम, मंजुल, रुचिर, चारु, रम्य, मनोहर, सुहावना, चित्ताकर्षक, रमणीक, कमनीय, उत्कृष्ट, उत्तम, सुरम्य.
सन्ध्या – सायंकाल, शाम, साँझ, प्रदोषकाल, गोधूलि.
स्त्री – सुन्दरी, कान्ता, कलत्र, वनिता, नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी.
सुगंधि – सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू.
स्वर्ग – सुरलोक, देवलोक, दिव्यधाम, ब्रह्मधाम, द्यौ, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक.
स्वर्ण – सुवर्ण, कंचन, हेन, हारक, जातरूप, सोना, तामरस, हिरण्य.
सरस्वती – गिरा, शारदा, भारती, वीणापाणि, विमला, वागीश, वागेश्वरी.
सहेली – आली, सखी, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री.
संसार – लोक, जग, जहान, जगत, विश्व.

हस्त – हाथ, कर, पाणि, बाहु, भुजा.
हिमालय – हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश.
हिरण – सुरभी, कुरग, मृग, सारंग, हिरन.
होंठ – अक्षर, ओष्ठ, ओंठ.
हनुमान – पवनसुत, पवनकुमार, महावीर, रामदूत, मारुततनय, अंजनीपुत्र, आंजनेय, कपीश्वर, केशरीनंदन, बजरंगबली, मारुति.
हिमांशु – हिमकर, निशाकर, क्षपानाथ, चन्द्रमा, चन्द्र, निशिपति.
हंस – कलकंठ, मराल, सिपपक्ष, मानसौक.
हृदय – छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर.
हाथ – हस्त, कर, पाणि.
हाथी – हस्ती, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी, मदकल.

प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे Muhabra in Hindi

प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे

प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे

1- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना - (स्वयं अपनी प्रशंसा करना ) - अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता ।

2- अक्ल का चरने जाना - (समझ का अभाव होना) - इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?

3- अपना हाथ जगन्नाथ:- स्वंय के द्वारा किया गया कार्य ही महत्वपूर्ण होता है.

4- सौ सुनार की एक लुहार की :- एक महत्वपूर्ण कार्य कई अनर्गल कार्यों से ज्यादा सटीक होता है.

5- सौ चूहे खा के बिल्ली चली हज को :- धूर्त व्यक्ति द्वारा धिकावे का किया गया अच्छा कार्य

6- सर सलामत तो पगड़ी हजार:- व्यक्ति बाधाओं से मुक्त हो जाये तो अन्य वस्तुओं की परवाह नहीं करनी चाहिए.

7- नांच ना जाने आँगन टेढा:-स्वंय की अकुशलता को दूसरों पर थोपना.

8- अन्धों में काना राजा:-मूर्खों में  कम विद्वान भी श्रेष्ठ माना जाता है.

9-  घर का भेदी लंका ढाए:- राजदार ही विनाश का कारण बनता है.

10- गरजने वाले बरसते नहीं हैं :- शक्तिहीन व्यक्ति निरर्थक चिल्लाता है. वह कुछ कर नहीं सकता है.

11- बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद :- मुर्ख एव असक्षम व्यक्ति किसी अच्छी एव मूल्यवान वस्तु का मोल नहीं जान सकता है.

12- अपने पैरों पर खड़ा होना - (स्वालंबी होना) - युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए ।

13- अपना उल्लू सीधा करना - (मतलब निकालना) - आजकल के नेता अपना अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है ।

14- आँखे खुलना - (सचेत होना) - ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है ।

15- आँख का तारा - (बहुत प्यारा) - आज्ञाकारी बच्चा माँ -बाप की आँखों का तारा होता है ।

16- आँखे दिखाना - (बहुत क्रोध करना) - राम से मैंने सच बातें कह दी , तो वह मुझे आँख दिखाने लगा ।

17- आसमान से बातें करना - (बहुत ऊँचा होना) - आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है ,जो आसमान से बातें करती है ।

18- ईंट से ईंट बजाना - (पूरी तरह से नष्ट करना) - राम चाहता था कि वह अपने शत्रु के घर की ईंट से ईंट बजा दे।

19- ईंट का जबाब पत्थर से देना - (जबरदस्त बदला लेना) - भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा ।

20- ईद का चाँद होना - (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) - राम ,तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते ,ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो ।

21- उड़ती चिड़िया पहचानना - (रहस्य की बात दूर से जान लेना) - वह इतना अनुभवी है कि उसे उड़ती चिड़िया पहचानने में देर नहीं लगती ।

22- उन्नीस बीस का अंतर होना - (बहुत कम अंतर होना) - राम और श्याम की पहचान कर पाना बहुत कठिन है ,क्योंकि दोनों में उन्नीस बीस का ही अंतर है ।

23- उलटी गंगा बहाना - (अनहोनी हो जाना) - राम किसी से प्रेम से बात कर ले ,तो उलटी गंगा बह जाए ।

24- घायल की गति घायल जाने : दुखी व्यक्ति की हालत दुखी ही जानता है।

25- चट मँगनी पट ब्याह : शीघ्रतापूर्वक मंगनी और ब्याह कर देना, जल्दी से अपना काम पूरा कर देने पर उक्ति।

26- चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय : बहुत अधिक कंजूसी करने पर उचित।

27- चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात : थोड़े दिनों के लिए सुख तथा आमोद-प्रमोद और फिर दु:ख।

28- चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता : बेशर्म आदमी पर किसी बात का असर नहीं होता।

29- चिकने मुँह सब चूमते हैं : सभी लोग बड़े और धनी आदमियों की हाँ में हाँ मिलाते हैं।

30- बेवकूफ मर गए औलाद छोड़ गए : जब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है तब उसके लिए ऐसा कहते हैं।

31- चोर-चोर मौसेरे भाई : एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्द मेल-जोल हो जाता है।

32- चोरी और सीनाजोरी : अपराध करना और जबरदस्ती दिखाना, अपराधी का अपने को निरपराध सिद्ध करना और अपराध को दूसरे के सिर मढ़ना।

33- छूछा कोई न पूछा : गरीब आदमी का आदर-सत्कार कोई नहीं करता।

34- छोटा मुँह बड़ी बात : छोटे मनुष्य का लम्बी-चौड़ी बातें करना।

35- जंगल में मोर नाचा किसने देखा : जब कोई ऐसे स्थान में अपना गुण दिखावे जहाँ कोई उसका समझने वाला न हो।

36- जब तक जीना तब तक सीना : जब तक मनुष्य जीवित रहता है तब तक उसे कुछ न कुछ करना ही पड़ता है।

37- जल की मछली जल ही में भली : जो जहाँ का होता है उसे वहीं अच्छा लगता है।

39- थोथा चना बाजे घना : दिखावा बहुत करना परन्तु सार न होना।


40- दूर के ढोल सुहावने : किसी वस्तु से जब तक परिचय न हो तब तक ही अच्छी लगती है।

मुहावरा मुहावरा अर्थ Muhawra ke Arth


मुहावरा मुहावरा अर्थ


1- आँख दिखाना
(Ankh Dikhaana) गुस्सा प्रकट करना।

2- मोटा आसामी
(Mota Aasami) धनवान या संपन्न व्यक्ति; अमीर।

3- कड़ा पड़ना
(Kada Padna) कठोरता बरतना या अपनाना।

3- रंग चढ़ना
(Rang Chadna) असर होना; प्रभावित होना।

4- फूँक फूँक कर कदम रखना
(Funk Funk Kar Kadam Rakhna) अत्यंत सावधानी बरतना।

5- हजामत बनना
(Hajamat Banna) पिटाई होना।

6- हजामत बनाना
(Hajamat Banana) बाल काटना।

7- आसमान के तारे तोड़ना
(Aasman Ke Tare Todna) असंभव काम करना।

8- थोथा चना बाजे घना
(Thotha Chana Baje Ghana) जिसमें सत नहीं होता वह दिखावा करता है

9- अधर में लटकना या झूलना
(Adhar Mein Latakna Ya Jhulna) अनिश्चय और प्रतीक्षा की अवस्था में रहना।

10- काला अक्षर भैंस बराबर
(Kaala Akshar Bhains Barabar) अनपढ़।

11- आस्तीन का साँप
(Asteen Ka Sanp) अपने या निकट व्यक्ति द्वारा धोखा देना।

12- कानों कान ख़बर न होना
(Kano Kaan Khabar Na Hona) किसी को पता न चलना।

13- भानमती का पिटारा
(Bhanmati Ka Pitara)बहुत तरह की वस्तुओं से भरा हुआ पिटारा; भाँति-भाँति की चीज़ों वाला पात्र।

14- तीन तेरह होना
(Teen Terah Hona) तितर-बितर होना।

15- हाथों के तोते उड़ जाना
(Hathon Ke Tote Ud Jana) बहुत घबरा जाना।

16- माथा ठनकना
(Matha Thankna) किसी अनिष्ट की आशंका होना।

17- भाव उतरना
(Bhav Utarna) मूल्य घट जाना।

18- दिल जमना
(Dil Jamna) किसी काम में जी लगना; संतोष होना।

19- आँखों पर परदा पड़ना
(Ankhon Par Parda Padna) भ्रम होना; अज्ञान या अंधकार छाना।

20- अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
(Ab Pachhtaye Hot Kya, Jab Chidiya Chug Gayi Khet)समय निकल जाने पर पछताने से क्या लाभ

21- गाँठ में बाँधना
(Ganth Mein Bandhna) हमेशा याद रखना।

22- पीठ ठोंकना
(Peeth Thokna) किसी की प्रशंसा करना; किसी को उत्साहित करना; शाबाशी देना।

23- लोहा लेना
(Loha Lena) मुकाबला करना।

24- रंग निखरना
(Rang Nikhrna) चेहरा साफ़ होना, चमकदार होना।

25- बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख
(Bin Mange Moti Mile, Mange Mile Na Bhikh) माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्ति हो जाती है, माँगने पर साधारण भी नहीं मिलती

26- जल में रहकर मगर से वैर
(Jal Mein Rehkar Magar Se Bair) किसी के आश्रय में रहकर उससे शत्रुता मोल लेना

27- गुड़ गोबर करना
(Gud Gobar Karna) नष्ट करना; चौपट करना।

28- ऊँची दुकान फीका पकवान
(Unchi Dukan Fika Pakvan) केवल ऊपरी दिखावा करना

29- आँखें चार होना
(Ankhen Char Hona) प्रेम होना,आमना-सामना होना